'नरेंद्र मोदी मेरे भाई हैं और ये रिश्ता बहुत पुराना है'

प्रिय प्रधानमंत्री के रूप में देखा है.
लेकिन इस रक्षाबंधन पर हम आपकी मुलाक़ात कराते हैं नरेंद्र मोदी की मुहंबोली बहन क़मर मोहसिन शेख से.
प्रधानमंत्री मोदी को राखी बांधने के बाद बीबीसी से रुबरू हुईं क़मर बताती हैं कि वो 'मोदी को उस दौर से राखी बांध रही हैं जब वह राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के एक सामान्य कार्यकर्ता थे'.
क़मर पाकिस्तान में पैदा हुईं. वहीं पढ़ी लेकिन एक हिंदुस्तानी से शादी के बाद से वो भारत में रह रही हैं. हालांकि, उनके दिल में पाकिस्तान की यादें ताज़ा हैं और वो चाहती हैं कि 'दोनों मुल्क़ों में अमन कायम हो.'
ख़ालिस उर्दू में शेर सुनाने वाली क़मर मोहसिन शेख़ बताती हैं कि वह पीएम मोदी को बीते कई सालों से राखी बांध रही हैं लेकिन आज भी व्यक्तिगत रूप से मोदी जी वैसे ही व्यक्ति हैं जैसे वो पहले हुआ करते थे.
प्रधानमंत्री मोदी से जुड़ी एक याद को साझा करते हुए क़मर ने बताया, "एक बरस जब मैं नरेंद्र भाई को राखी बांधने दिल्ली आई तो उन्होंने मुझे देखते ही हंसते हुए कहा कि...'अरे, क़मर तुम तो टीवी पर छाई रहती हो, स्टार हो गई हो.' फिर वह मेरे बेटे के बारे में पूछने लगे कि मेरा बेटा आजकल कहां पढ़ाई कर रहा है और तैराकी के क्षेत्र में क्या कर रहा है?"
प्रधानमंत्री मोदी और क़मर मोहसिन शेख़ के बीच भाई-बहन का रिश्ता कायम होने की कहानी भी काफ़ी दिलचस्प है.
पाकिस्तान से लगभग 37 साल पहले भारत आईं क़मर शेख के मुताबिक़ भाई के रूप में उन्हें नरेंद्र मोदी ही दिखाई देते हैं.
क़मर बताती हैं, "नरेंद्र मोदी से मेरी पहली मुलाक़ात दिल्ली में हुई थी जब वो हमारे गुजरात के सांसद दिलीप भाई संघानी के घर में रहा करते थे. मैं अपने पति के साथ उनकी कुछ पेंटिंग लेकर दिल्ली पहुंची थी जहां मेरी मुलाक़ात नरेंद्र भाई से हुई. जब उन्होंने पेंटिंग देखीं तो उन्हें ये बड़ी पसंद आईं."
मोदी के साथ राखी का बंधन जुड़ने की घटना बताते हुए क़मर कहती हैं, "गुजरात के राज्यपाल स्वरूप सिंह मुझे अपनी बेटी की तरह मानते थे और जब वो गुजरात से जाने लगे तो नरेंद्र मोदी उनको छोड़ने के लिए एयरपोर्ट पर आए. तब स्वरूप सिंह ने कहा कि क़मर मेरी बेटी है और इसका ध्यान रखना. इस पर नरेंद्र मोदी ने कहा कि अगर आपकी बेटी है तो हमारी बहन हुई. इसके बाद से वह हर साल नरेंद्र मोदी को राखी बांधती हैं."
पाकिस्तान के कराची शहर में अपना बचपन बिताने और वहीं तालीम हासिल करने वाली क़मर शेख़ कहती हैं कि दोनों मुल्कों की अवाम एक जैसी है. दोनों तरफ के लोग बेहद प्यारे हैं और एक दूसरे से मोहब्बत करते हैं.
वो कहती हैं, "मैं पाकिस्तान में भी रही हूं और भारत में भी रही हूं और मैंने दोनों तरफ के लोगों को देखा है. अगर आप कभी पाकिस्तान जाकर लोगों से मिलें तो आपको पता चलेगा कि वो ख़ुशामद करने में कोई कसर नहीं छोड़ेंगे. यहां भी ऐसा ही माहौल है."
जब क़मर शेख़ से ये सवाल किया गया कि कला और खेल दो अजनबियों को भी एक कर देता है और इस समय भारत में कला प्रेमी प्रधानमंत्री मोदी हैं और पाकिस्तान में मशहूर क्रिकेटर इमरान ख़ान प्रधानमंत्री हैं तो क्या ऐसे में दोनों मुल्कों में संबंध सुधरेंगे?
क़मर इस सवाल का जवाब देते हुए कहती हैं, "इमरान ख़ान एक क्रिकेटर के रूप में बहुत अच्छे हैं लेकिन राजनीति और राजनीति में आने के बाद लिए गए फ़ैसले व्यक्ति से अलग होते हैं. लेकिन मैं दुआ करूंगी कि दोनों मुल्कों में अमन और चैन कायम हो."
वो कहती हैं, "वो साल 1998 था जब वाजपेयी जी ने परमाणु परीक्षण किया था तो नरेंद्र भाई ने मेरे पति की पेंटिंग को तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी को दिखाया. उन्होंने वाजपेयी जी को पेंटिंग देते हुए कहा - 'ये पेंटिंग हिंदुस्तान के बेटे और पाकिस्तान की बेटी ने बनाई है.' वाजपेयी को वह पेंटिंग काफ़ी पसंद आई."
मोहसिन शेख़ इस घटना के बारे में बताते हुए दावा करते हैं, "मैंने अपनी पेंटिंग के साथ एक कविता भी लिखी थी और मैंने जब वह पढ़कर उन्हें सुनाई तो वाजपेयी जी की आंखों में आंसू आ गए. उन्होंने कहा कि पोखरण को लेकर उनके मन में जो भावना थी वह इस कविता और चित्र के रूप में सामने आई है."

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